पश्चिम चंपारण : बिहार लोक शिकायत निवारण अधिनियम का नियमावली बड़ा या साहब, नियमावली के विरुद्ध पदाधिकारी ने दिया आदेश ?

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खबर एक्सप्रेस बिहार न्यूज़24, पश्चिम चंपारण : बिहार में कानून का राज है , ऐसा वक्तव्य समय दर समय न सिर्फ बिहार सरकार के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का सामने आता रहा है बल्कि सरकार में शामिल मंत्री,विधायको का भी आता रहा है । लेकिन इस वक्तव्य से इतर एक अपर समाहर्ता ने खुद को नियमावली से ऊपर समझते हुए एक आदेश लिखकर परिवादी को सकते में डाल दिया ।

जानकारी के मुताबिक पश्चिम चंपारण जिले में पदस्थापित अपर समाहर्ता अनिल राय वर्तमान में जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के दायित्वों का निर्वहन कर रहे है । इस क्रम में उन्होंने बीते 21 दिसंबर को एक परिवाद के मामले में आदेश निर्गत किया है ,जो नियमावली के विरुद्ध प्रतीत होता है । इस प्रकरण में जारी आदेश को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे है ?

आइए समझते है क्या है मामला

जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी अनिल राय ने उल्लेख किया है कि परिवाद संख्या 99988011509236753 नवम्बर 15 2023 को उन्हें ऑनलाइन प्राप्त होता है तथा इस परिवाद के वादी आरटीआई एक्टिविस्ट नरेंद्र कुमार राय है । समान्य प्रशासन विभाग की अधिसूचना संख्या 7695 मई 30,2016 के द्वारा जारी समाज कल्याण विभाग के लाभ/राहत की सूची में परिवाद का यह विषय सबंधित है ।

जिसे उक्त नियमावली के नियम 3(7) में एक अनन्य संख्या 99988011509236753 आवंटित किया गया है । परिवादी द्वारा दायर परिवाद जिले के चनपटिया प्रखंड स्थित बाल विकास परियोजना कार्यालय के अंतर्गत केंद्र संख्या – 161 पर हुए वितीय अनियमितता एवं भ्रष्टाचार की जांच जिला स्तरीय टीम गठित कर कराने से सम्बंधित है ।

वही इस संबंध में जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के द्वारा जिला प्रोग्राम पदाधिकारी ( आईसीडीएस) को 09 अक्टूबर को एक नोटिस जारी किया जाता है और 19 दिसम्बर तथा अन्य पांच तिथियों मे इस वाद की सुनवाई की जाती है । लेकिन आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि इस वाद की सुनवाई के क्रम में जिला प्रोग्राम पदाधिकारी और चनपटिया प्रखंड की बाल विकास परियोजना पदाधिकारी अनुपस्थित तो रहती ही है साथ ही साथ कोई प्रतिवेदन भी प्रस्तुत नही करती है ।

आगे जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी खुद ही उल्लेख करते है कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्राप्त परिवाद का निपटारा 60 कार्यदिवस में करना है । जिसकी समय सीमा 07 दिसम्बर थी और इस तिथि तक दोनो पदाधिकारी अनुपस्थित रहती है । जिसके बाद एक ईमेल के जरिए आईसीडीएस के द्वारा प्रतिवेदन लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी को प्राप्त होता है , जिस सम्बन्ध में वह उल्लेख करते है कि प्रतिवेदन भ्रामक प्रतीत होता है ।

वही 60 कार्य दिवस बीतने के बाद जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी अनिल राय नियम के विरुद्ध पुनः 15 दिसम्बर को सम्बंधित पदाधिकारी को एक आदेश निर्गत करते है और निर्देशित करते है कि पत्र प्राप्ति के 24 घण्टे के अंदर परिवाद के आलोक तथ्यात्मक प्रतिवेदन समर्पित करे । तत्पश्चात चनपटिया के बाल विकास परियोजना पदाधिकारी के द्वारा 16 दिसम्बर को प्रतिवेदन समर्पित की जाती है ।

समर्पित प्रतिवेदन में उल्लेख किया गया है कि 08 जुलाई से 31 दिसम्बर तक आंगनबाड़ी केंद्र संख्या – 161 में बच्चों की उपस्थिति पंजी में उपस्थिति कम थी परंतु पोषाहार को पूर्ण मात्रा में बनाया गया था और अवशेष पोषाहार को अनुपस्थित बच्चों के घर पर उपलब्ध कराया गया है । साथ ही साथ विभागीय निर्देशिका के मुताबिक प्रतिदिन पोषाहार मात्रा के अनुसार खर्च किया जाता है सहित अन्य बिंदुओं पर भ्रामक प्रतिवेदन समर्पित की गई ।

एक ही परिसर में कार्यालय फिर भी पांच नोटिस गायब

अपने अनुपस्थिति को लेकर पश्चिम चंपारण के जिला प्रोग्राम पदाधिकारी (आईसीडीएस) ने जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी को दलील दी है कि नोटिस नही मिलने की वजह से वह वाद की सुनवाई के क्रम में अनुपस्थित रही है। तो गंभीर सवाल यह है कि समाहरणालय परिसर में ही जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी और जिला प्रोग्राम पदाधिकारी का दफ्तर है ,ऐसे मे पांच – पांच नोटिस का गायब होने के लिए जिम्मेदार कौन है और जिम्मेदार कर्मियों के विरुद्ध कार्यवाई नही किया जाना खुद में गंभीर सवाल है ।

वही इस मामले को लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट नरेंद्र कुमार राय ने हमारे संवाददाता से बातचीत के क्रम में कहा है कि जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने 30 नवम्बर को अपने मोबाइल फोन से भी डीपीओ और सीडीपीओ को अपना पक्ष रखने के लिए निर्देशित किया । लेकिन दोनों ही पदाधिकारियो ने हठधर्मिता अपनाते हुए उपस्थित नही हुई । वही जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने अधिकारियों के पक्ष में कार्य तो किया ही है । साथ ही साथ नियमावली के विरुद्ध आदेश भी निर्गत किया है । हम सक्षम प्राधिकार के समक्ष अपील वाद दायर करेंगे ।

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