रिपोर्ट, मो. अंजुम आलम,जमुई ( बिहार) : जिले के सदर प्रखंड के अमरथ गांव में सैयद अहमद खान गाजी जाजनेरी की मजार एकता और शांति का प्रतीक बना है। यहां हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग अपनी इच्छा व मन्नतें पूरी करने के लिए आते हैं। इसे कुदरत की करिश्मा कहें या अंधविश्वास की परिकाष्ठा, लेकिन दोनों समुदाइयों के लिए यह श्रद्धा और भक्ति का केंद्र बना हुआ है। बता दें कि यहां ज्यादातर लोग मानसिक रोग से ग्रस्त ही आते हैं। और एक निर्धारित समय तक रहकर वापस चले जाते हैं। हालांकि दूर- दराज से आए लोगों को ठहरने के लिए कमिटी द्वारा कई कमरों का भी निर्माण कराया गया है। दरगाह पर रह रहे लोग बताते हैं कि यहां सच्चे दिल और विश्वास के साथ आने पर मानसिक बीमारी और शैतानी हरकतें ठीक हो जाती हैं। इस दरगाह पर कई राज्यों से लोग अपनी मन्नतों को लेकर पहुंचते हैं। यहां ठहरने के लिए जिम्मेदारों द्वारा कमरा का भी इंतेज़ाम किया जाता है। जहां लोग निर्धारित समय तक रहते हैं।
दरगाह पर पहले मरीज के रूप में पहुंचे थे रामावतार सिंह
बताया जाता है कि बादशाह अकबर के जमाने में तुगलक खानदान के सैय्यद अहमद खान गाजी के पूर्वज थे और कई दशकों पहले अमरथ गांव आए थे। जब उन्होंने अपना बसेरा डाला तो यहां पेयजल की भारी किल्लत थी। तब उन्होंने यहां तालाब खुदवाया। गाजी बाबा की मृत्यु होने के बाद उन्हें यहीं पर दफनाया गया जो आज भी एक मजार के रूप में स्थित है। मजार के समीप एक मुजाबिर हमेशा प्रतिनियुक्त रहते हैं। जो रोगियों को दिशा- निर्देश देते हैं।इस दरगाह पर पहले मरीज के रूप में रामावतार सिंह आए थे। जिनकी मानसिक बीमारी ठीक हो गई थी। वर्षों पूर्व एक पुलिस अधिकारी ने शुरू की थी उर्स और मिलाद
तकरीबन 100 वर्षों पहले सैय्यद कमरूज्जमा रिजवी नामक एक बड़े पुलिस अधिकारी शिकार खेलने के लिए अमरथ आए थे। मजार के समीप इमली के पेड़ पर बैठे पक्षी पर दो गोलियां दागी जो विफल रही। तीसरी गोली पक्षी की ओर जाने की बजाय पीछे की ओर चली गयी। तभी उन्हें लगा कि जरूर यहां पर कोई अलौकिक शक्ति है। तभी से उन्होंने यहां उर्स मनाया और मिलाद के कार्य शुरू किए थे। और साबू कव्वाल ने कव्वाली का प्रचलन शुरू किया था। उसी वक़्त से यह परंपरा जोर- शोर से चली आ रही है।दरगाह पर कुरआन खानी से शुरू हुआ उर्स मेला
रविवार को अमरथ स्थित सैयद अहमद खान गाज़ी जाजनेरी के दरगाह पर कमिटी के सदस्यों द्वारा कुरआन खानी के साथ उर्स की शुरुआत की गई। कमिटी के सचिव जावेद आलम, इकबाल हसन, ज़ुल्फक्कर अली भुट्टो ने बताया कि कुराआन खानी में काफी संख्या में लोग शामिल हुए। 22 फरवरी सोमवार के देर शाम चादरपोश की गई। 23 फरवरी को होगा मुकाबला कव्वाली
उर्स के अवसर पर प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष 23 फरवरी को मुकाबला कव्वाली का भव्य आयोजन होगा। जिसमें बड़ी संख्या में लोगों के ठहरने का इंतेज़ाम किया गया है। कमिटी के सदस्यों ने बताया कि प्रत्येक वर्ष उर्स मेले की रात में यानि 22 फरवरी को ही कव्वाली का आयोजन किया जाता था। जिससे लोगों की परेशानी बढ़ती थी। इसलिए दो वर्ष से 23 फरवरी की शाम मुकाबला कव्वाली का आयोजन किया जा रहा है। कव्वाली का मुकाबला जॉनपुर के कव्वाल आबिद अनवर और बनारस की गुड़िया प्रवीण के बीच होगा। दोनों के बीच जबरदस्ता मुकाबला कव्वाली देर शाम के बाद आयोजित किया जाएगा। उर्स, मेला और कव्वाली की तैयारी पूरी कर ली गई है।