प्रेगनेंट होने पर महिलाओं को अपने खानपान और त्वचा की देखभाल को लेकर बहुत सावधान रहना पड़ताहै। इस समय हेल्दी डायट उनके जीवन का अहम हिस्सा होता है। कई महिलाएं नारियल तेल, ऑलिव ऑयल और अन्य नैचुरल ऑयल का इस्तेमाल खाने में करती हैं।
आपको बता दें कि प्रेगनेंसी में जैतून के तेल का इस्तेमाल करना बहुत फायदेमंद होता है और गर्भावस्था ही नहीं बल्कि इसके बाद भी ऑलिव ऑयल खाने से लाभ होता है।
प्रेगनेंसी में ऑलिव ऑयल लेना सुरक्षित है
प्रेगनेंट महिला के आहार में ऑलिव ऑयल को शामिल करना बिल्कुल सुरक्षित होता है। गर्भवती महिला को इसके कई लाभ मिलते हैं और गर्भस्थ शिशु को भी इससे फायदा मिलता है। ऑलिव ऑयल डायट्री फाइबर, मोनोअनसैचुरेटेड फैट, विटामिन ई और आयरन प्रचुर मात्रा में होता है।
प्रेगनेंसी में जैतून के तेल का इस्तेमाल कैसे करें
आप प्रेगनेंसी में ऑलिव ऑयल में खाना पकाकर खा भी सकती हैं और इसे स्किन पर लगा भी सकती हैं। पेट पर ऑलिव ऑयल लगाने से स्ट्रेच मार्क्स नहीं होते और बाल झड़ने की समस्या भी दूर होती है।
दिन में दो बार एक चम्मच ऑलिव ऑयल से हल्के हाथों से पेट की मालिश करें। बालों को धोने से दो घंटे पहले जैतून के तेल से सिर की मालिश करें। आपको सप्ताह में तीन बार इस तेल से मालिश करनी है।
भोजन के लिए आप सब्जी ऑलिव ऑयल में पकाकर खा सकती हैं। ये गर्भवती महिलाओं को कार्डियोवस्कुलर रोगों से बचाता है और भ्रूण के मस्तिष्क एवं आंखों के विकास में मदद करता है।
ऑलिव ऑयल खाने के फायदे
प्रेगनेंसी में ऑलिव ऑयल खाने से मां और बच्चे को कई तरह के लाभ मिलते हैं, जैसे कि :
भ्रूण का विकास : ऑलिव ऑयल में प्रचुर मात्रा में ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है जो कि शिशु के दिल के लिए बहुत फायदेमंद होता है। ऐसा देखा गया है कि प्रेगनेंसी में ऑलिव ऑयल खाने से शिशु के मस्तिष्क के विकास में सुधार आता है और बच्चे की सीखने की क्षमता भी बढ़ती है।
स्ट्रेच मार्क्स : प्रेगनेंसी में स्ट्रेच मार्क्स होना आम बात है। शिशु के बढ़ने के साथ पेल्विक हिस्से और पेट की मांसपेशियां खिंचने लगती हैं जिससे स्ट्रेच मार्क्स आते हैं। रोज ऑलिव ऑयल लगाने से प्रेगनेंसी में स्ट्रेच मार्क्स होने से बचा जा सकता है और इन्हें ठीक भी किया जा सकता है।
विटामिन ई :ऑलिव ऑयल में प्रचुरता में विटामिन-ई होता है जो कि प्रेगनेंट महिला के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। विटामिन-ई शिशु के विकास को बढ़ावा देता है और ऑक्सीजन युक्त वातावरण में सांस लेने के लिए तैयार करता है। जन्म के बाद स्तनपान के जरिए यह शिशु के शरीर में प्रवेश करता है। इससे खासतौर पर प्रीमैच्योर शिशुओं की किडनी और पैंक्रियाज को ठीक तरह से काम करने में मदद मिलती है।
रिफलेक्सेस में मदद : कई रिसर्चों में सामने आया है कि जिन महिलाओं ने प्रेगनेंसी के दौरान ऑलिव ऑयल का सेवन किया था, उनके रिफलेक्सस बाकी बच्चों की तुलना में बेहतर थे। इन बच्चों में साइकोमोटर रिफलेक्सेस बेहतर थे।(साभार : NBT)