यह सच है कि पिछले कुछ महीने ऐसे रहे हैं जिनसे हम सभी अनजान थे। अचानक, “सेल्फ क्वारंटाइन” और “विश्व महामारी” जैसे शब्द आम हो गए हैं और यहां तक कि एक छोटी सी खांसी भी नागरिकों को दहशत में डाल सकती है। अधिकारियों द्वारा किसी के साथ सीधे संपर्क को रोकने के लिए सभी को घर के अंदर रहने के लिए कहा गया। लॉकडाउन के दौरान, अपने पसंदीदा वेब शो को देखने और घर से काम करने के कारण स्क्रीन एक्सपोजर बढ़ गया है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लंबे समय तक उपयोग से आंखों की कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें सूखापन, खुजली और लालिमा के साथ-साथ आंखों का बहना, पानी आना और सिरदर्द शामिल हैं। आँखों सम्बंधित मुद्दों पर जाने-माने नेत्र विशेषज्ञ और दृष्टिपुन्ज आई हॉस्पिटल के डॉ सत्य प्रकाश तिवारी ने नूतन चर्चा से बातचीत की।
प्र) लॉकडाउन के कारण लोग ज़्यादा समय कंप्यूटर, मोबाइल पर दे, आँखों के लिए केयर नहीं करते हैं?
उ) ये सही है कि थोड़ी से लापरवाही बढ़ी है। नयी पीढ़ी में खानपान और हेल्थी डाइट नहीं लेने का चलन ज़्यादा बढ़ा है। इस दौरान लम्बे समय तक कंप्यूटर मोबाइल में ज़्यादा समय व्यतित किया जा रहा है। आँखों में जब समस्या बढ़ जाती है या गंभीर हो जाती है तब ध्यान दिया जाता है। तब डॉक्टर के पास आते हैं। जब बीमारी बढ़ जाती है तो ध्यान देते हैं। ये एक नजरिया है, खासकर के नयी पीढ़ी को सोचने की ज़रुरत है। अगर शरीर स्वास्थ्य है तभी जीवन में कोई सफलता प्राप्त कर सकते हैं। अगर शरीर ही कमज़ोर है तो कोई भी सफलता काम नहीं आएगी। थोड़ा स्वास्थ पर ध्यान दें, हेल्थी डाइट, हेल्थी बेहेवियर, आँखों का भी ध्यान रखें। कंप्यूटर, मोबाइल का कम प्रयोग करें, जितना ज़रूरी हो उतना प्रयोग करें। टीवी का प्रयोग एंटरटेनमेंट के लिए ज़रूरी है। लेकिन अत्यधिक इस्तेमाल करना उचित नहीं है।
प्र) क्या बार-बार आँखें धोने चाहिए?
उ) आँख अगर न भी धोएं, आँख जो नेचुरल मैकेनिज्म है, टिअर फिल्म (आंसू की परत) ये हमेशा बनती रहती है। ये नेचुरल तरीके से अपने आप धोते रहती है। अगर आँख में कोई बीमारी नहीं है तो इसे धोना ज़रूरी नहीं हैं, लेकिन धूल वाले एरिया से चल कर आएं (बहार से) कोई भी प्रोटेक्शन नहीं है तो आँखों को धोना है। वैसे भी सुबह में, जब हमलोग उठते हैं तो आँखों को धोते ही हैं। इसके अलावा बार-बार आँखों में छींटा मारना या धोना आवश्यक नहीं है। आँखों में अगर दिक्कत है या आँख गड़ती है या बार-बार धोने का मन करता है तो आँख की जो नेचुरल परत है जिसको हम लोग टिअर फिल्म बोलते हैं वो उसमें अगर समस्या है तो डॉक्टर से मिलें और जांच कराएं। टिअर सप्लीमेंट है तो उसके लिए डॉक्टर से मिल कर जाँच कराएं। प्रदुषण हर अंग को प्रभावित करता है और आँखों को भी प्रभावित कर रहा है। आँखों में जो भी डस्ट पार्टिकल है, एयर पॉल्यूशन में परेशिफ्टेड होते हैं, आँखों जलन की समस्या आती है तो कई बार जब बाहर जाते हैं तो आँखों पर डायरेक्ट रौशनी आती है, किसी पार्टी में जाते हैं तो अलग-अलग तरह की लाइट्स आँखों पर सीधे पड़ती है जो आँखों को प्रभावित करती है। जो बड़े-बड़े कार्यक्रम यूवी लाइट होते हैं, कई बार हमने देखा है।
प्र) क्या क्लासेज होने से मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है?
उ) टीवी का इफ़ेक्ट पड़ता है। आज के ज़माने में ऑनलाइन क्लासेज हो रही है इतनी समस्या आ रही है बच्चों की, आउटडोर एक्टिविटीज रेस्ट्रिक्ट हो गयी है। इसके चलते बच्चों आँखों की रौशनी पर भी इफ़ेक्ट हो रहा है, आँखों के नंबर बढ़ रहे हैं। आँखों में ड्राईनेस की समस्या बढ़ रही है। आंसू की परत की डेफ्फेक्टिवे होने की समस्या बढ़ रही है, जो बच्चों में पहले कभी नहीं थी, लेकिन अभी बच्चों में भी देखने को मिल रही है। मोबाइल, टीवी का इस्तेमाल थोड़ी देर के लिए रखें, ये एंटरटेनमेंट का साधन है। उसे आदतों में शामिल न करें। आप लम्बे समय तक दिन भर इसमें लगे हैं तो ये आँखों को बुरी तरह से प्रभावित करता है।
प्र) दृष्टिपुन्ज आई हॉस्पिटल की क्या खूबियां हैं?
उ) ये हॉस्पिटल अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। अति विशिष्ट संस्थान हैं जो रेटिना से सम्बंधित है। ये हमारा हॉस्पिटल आँखों के पर्दा के जितने भी कॉम्प्लिकेटेड केस हैं उनका इलाज होता है। यह अस्पताल आंखों के सरल और जटिल विकारों के इलाज के लिए विश्व स्तरीय, आयातित उपकरणों से लैस है। इसमें एक विश्व स्तरीय ऑपरेशन थिएटर कॉम्प्लेक्स और केंद्रीय रूप से वातानुकूलित ओपीडी, जांच और प्रतीक्षा क्षेत्र है। इसमें आंखों के सबसे जटिल विकारों के इलाज के लिए भारत के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों के डॉक्टरों के उच्च योग्य समूह का एक पैनल है। इस अस्पताल का उद्देश्य सभी नेत्र विकारों का इलाज अत्यंत सस्ती कीमत पर उच्चतम गुणवत्ता के साथ करना है। यहाँ तीन-तीन रेटिना विशेषज्ञ डॉ बंदना तिवारी, डॉ बिभूति नारायण हैं। डॉ बंदना’तिवारी रेटिना और कॉर्निया की विशेषज्ञ हैं, डॉ बिभूति नारायण ग्लूकोमा विशेषज्ञ हैं। नेत्र चिकित्सा के अस्पताल में राष्ट्रीय स्तर का काम किया है। बिहार को हमें नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में ऊचाँइयों पर ले जाना है।
प्र) पाठकों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
उ) पाठकों को यही कहना चाहूंगा कि आँखों का ख्याल रखें, आँखें बहुमूल्य है। सभी को पता है आँखों को किस चीज़ से समस्या होती है फिर भी उसी काम को करते हैं। आँखों का ख्याल रखना ज़रूरी है।